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Punjab news: सुखबीर बादल ने गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब में धार्मिक सजा निभाई, सुरक्षा व्यवस्था रही कड़ी

Punjab news: शिरोमणि अकाल तख्त साहिब द्वारा लगाए गए धार्मिक दंड के तहत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल शनिवार को गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब पहुंचे। उनके साथ शिरोमणि अकाली दल के अन्य प्रमुख नेता भी थे, जिनमें बिक्रमजीत सिंह मजीठिया, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, सुचा सिंह लांगा और अन्य कई नेताओं ने धार्मिक सजा के रूप में सेवा की।

सुबह करीब 8:30 बजे सुखबीर बादल गुरुद्वारा परिसर में पहुंचे और सबसे पहले एक घंटे तक कृपाण (तलवार) की सेवा की। इसके बाद उन्होंने गुरुद्वारा साहिब के आंगन में एक घंटे तक कीर्तन सुना। लगभग 10:45 बजे वे लंगर हॉल पहुंचे और वहां बर्तन धोने की सेवा की। इस दौरान उनके साथ बिक्रमजीत सिंह मजीठिया, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, सुचा सिंह लांगा, बलविंदर सिंह भुंदर, गुरप्रीत राजू खन्ना, यूथ अकाली दल के प्रमुख सरबजीत सिंह झिंझर, दर्बारा सिंह गुरु, जगदीप सिंह चीमा, जिला शहरी प्रमुख शरणजीत सिंह और जिला ग्रामीण प्रमुख मनमोहन सिंह मकरपुर भी उपस्थित थे। इस समय हरसिमरत कौर बादल भी वहां पहुंचीं और सभी नेताओं ने मिलकर बर्तन धोने की सेवा की।

Punjab news: सुखबीर बादल ने गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब में धार्मिक सजा निभाई, सुरक्षा व्यवस्था रही कड़ी

सुरक्षा व्यवस्था में कड़ी सतर्कता

सुखबीर बादल की सुरक्षा को लेकर विशेष सावधानी बरती गई। बुधवार को श्री हरिमंदिर साहिब में सुखबीर बादल पर हमले के बाद, फतेहगढ़ साहिब में सुरक्षा के इंतजाम कड़े कर दिए गए थे। सुखबीर बादल की सुरक्षा में Z+ सुरक्षा कवर की पहली परत थी, इसके बाद पंजाब पुलिस केPlain clothes में कर्मी तैनात थे। तीसरी परत के रूप में पार्टी कार्यकर्ता सतर्क थे।

पंजाब पुलिस के अधिकारी और कर्मी पहले से ही गुरुद्वारा साहिब के बाहर तैनात थे। सुरक्षा के लिहाज से गुरुद्वारा साहिब के प्रवेश द्वारों पर मेटल डिटेक्टर भी लगाए गए थे। फतेहगढ़ साहिब के एसपी डी राकेश यादव, डीएसपी फतेहगढ़ साहिब सुखनाज सिंह और डीएसपी बस्सी पाठाना मोहित सिंगला सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी में थे।

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पंजाब पुलिस और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी पर मजीठिया का आरोप

गुरुद्वारा साहिब से निकलते हुए बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने एक प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि आज शाम 3:30 बजे वह पंजाब पुलिस अधिकारियों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के बीच मिलीभगत के साक्ष्य पेश करेंगे। मजीठिया ने यह दावा किया कि उनके पास इस संदर्भ में ठोस सबूत हैं जो पंजाब पुलिस के अधिकारियों और ISI के बीच के संपर्क को उजागर करेंगे।

इसके साथ ही, डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने भी सुखबीर बादल पर हुए हमले के मामले में न्यायिक जांच की मांग की। उन्होंने कहा, “अगर वही लोग जांच करेंगे जिनके ऊपर सवाल उठाए जा रहे हैं, तो सच कैसे सामने आएगा?” चीमा ने आरोप लगाया कि पंजाब पुलिस इस मामले में ठीक से जांच नहीं कर रही है और यह जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती।

शंभू बॉर्डर पर किसानों पर बल प्रयोग की आलोचना

मजीठिया और चीमा ने शंभू बॉर्डर पर किसानों पर किए गए बल प्रयोग की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि किसानों के संविधानिक अधिकारों का दमन किया जा रहा है और उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है और उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।

मजीठिया और चीमा ने केंद्रीय मंत्री रवीनाथ सिंह बिट्टू के उस बयान पर भी सवाल उठाए जिसमें उन्होंने नारायण सिंह चौधरी के सम्मान की बात की थी। मजीठिया ने बिट्टू की दोहरा मापदंड नीति पर हमला करते हुए कहा कि वह ऐसे लोगों का सम्मान कर रहे हैं जिन्होंने देश की एकता और अखंडता के खिलाफ काम किया। उन्होंने यह भी मांग की कि उन सभी दोषियों को रिहा किया जाए जिन्होंने बीएंट सिंह हत्याकांड में सजा पूरी की है और अब उन्हें रिहा किया जाना चाहिए।

कांग्रेस और अकाली दल के बीच घमासान

बिक्रमजीत मजीठिया और दलजीत चीमा ने अकाली दल की ओर से कांग्रेस पार्टी की आलोचना की और कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही पंजाब के किसानों और जनता के खिलाफ खड़ी रही है। मजीठिया ने यह आरोप भी लगाया कि कांग्रेस अपने राजनीतिक फायदे के लिए पंजाब में अशांति फैलाने की कोशिश कर रही है।

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उन्होंने दावा किया कि अकाली दल हमेशा से ही पंजाब के किसानों और आम जनता के हितों की रक्षा के लिए खड़ा रहा है और अब भी वह इसी उद्देश्य के साथ काम कर रहा है। उनका कहना था कि कांग्रेस सरकार ने किसानों की आवाज को दबाने के लिए बल प्रयोग किया और इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस सरकार किसानों के मुद्दों पर कितनी संवेदनशील है।

सुखबीर बादल और उनके समर्थकों द्वारा फतेहगढ़ साहिब में धार्मिक सजा की निभाई गई सेवा और सुरक्षा व्यवस्था की कड़ी निगरानी इस बात का संकेत है कि पंजाब में राजनीति और धार्मिक मुद्दे लगातार एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जबकि एक ओर अकाली दल ने पंजाब पुलिस और ISI की मिलीभगत के आरोप लगाए हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी ने किसानों और आम जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है। इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब यह देखना होगा कि सुखबीर बादल और उनके सहयोगी नेताओं के आरोपों पर पंजाब सरकार क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या इस मुद्दे पर आगे कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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